अध्याय 3 अंग्रेजी साम्राज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष
पश्चिमी देशों ने अपने आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करने की दृष्टि से अलग-अलग देशों में अपने उपनिवेश बनाएं और बाद में अपना साम्राज्य स्थापित किया भारत में ब्रिटिश उपनिवेश वाद की शुरुआत छल कपट अत्याचार व शोषण से हुई। भारत प्राचीन काल से ही समृद्ध सील देश रहा है अतः विश्व के अन्य देशों के साथ ही अंग्रेजों की भारत पर सदैव निगाहें रही शीघ्र ही व्यापारी से शासक बन गए थे अंग्रेजों के कारण भारत की सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक व्यवस्था को आधारभूत सती पहुंची थी।
1757 ईस्वी से 1857 ईसवी तक स्वतंत्रता की चेतना:- 23 सितंबर 16 को ब्रिटेन के प्रमुख व्यापारियों ने एक संयुक्त पूंजी उद्यम के रूप में द गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मरचेंट्स ऑफ लंदन ट्रेनिंग इन टू ईस्ट इंडीज के नाम से पृष्ठ ईस्ट इंडिया कंपनी शुरू की थी 31 दिसंबर 1600 को एलिजाबेथ प्रथम ने इस कंपनी को पूर्व के साथ व्यापार करने का अधिकार पत्र दिया 1612 ईस्वी में सूरत में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थाई व्यापारिक कोठी स्थापित की।
1757 ईस्वी से पूर्व अंग्रेजों ने एक अन्य यूरोपीय कंपनियों को पराजित किया मुगलों से फरमान प्राप्त करने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का बंगाल मैं हदसेप बढ़ गया।
प्लासी का युद्ध :- 23 जून 1757 इसी को प्लासी का युद्ध हुआ किस में अंग्रेजों की विजय हुई तथा नवाब मारा गया था अंग्रेजों ने बंगाल का नवाब मीर जाफर को बना दिया गया इसे बंगाल में अंग्रेजों की सर्वोच्च स्थापित हो गई।
बक्सर का युद्ध:- 22 अक्टूबर 1764 ईस्वी को बक्सर का युद्ध हुआ जिसमें नवाब की पराजित हुई तथा अंग्रेजों की विजय हुई यह युद्ध भारत के लिए अधिक घातक सिद्ध हुआ इस युद्ध के बाद अंग्रेजों को बंगाल बिहार उड़ीसा के दीवानी अधिकार अंग्रेजों को प्राप्त हो गए इसे भारत के उद्योग और व्यापार को भी आनी पहुंची।
संपूर्ण नोट्स👇👇
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