अध्याय - 1 स्वर्णिम भारत : प्रारम्भ से 1206 ई.तक
भारत का इतिहास एवं संस्कृति अपने प्राचीन काल से ही गौरवशाली रही है भारत विश्व गुरु एवं सोने की चिड़िया कहलाता था। सिंधु सरस्वती सभ्यता वैदिक सभ्यता रामायण एवं महाभारत कालीन सभ्यता एवं संस्कृति का काल भी भारत का स्वर्णिम काल रहा है। वेदों को विश्व ज्ञान कोष के रूप में जाना जाता है। सिंधु सरस्वती सभ्यता स्थापत्य की दृष्टि से सर्वोत्तम सभ्यता है। हमारा महाजनपद काल गणतंत्र आत्मक एवं संवैधानिक व्यवस्था व्यवस्था का आदर्श रहा है।
महाजनपद काल:- छठी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तर भारत में अनेक विस्तृत तथा शक्तिशाली स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हुई जिन्हें महाजनपद की संज्ञा दी गई है बौद्ध ग्रंथ अंगूर अत्तर निकाय एवं जैन ग्रंथ भगवती सूत्र के अनुसार 16 महाजनपद विद्यमान थे। जैसे काशी गुरु अंग मगध वजी मल चेदि वत्स कौशल पांचाल मत्स्य शूरसेन अशक अवंती आधार कंबोज आदि।
राजस्थान के प्रमुख जनपद:- वैदिक सभ्यता के विकास क्रम में राजस्थान में भी जनपदों का उदय देखने को मिलता है यूनानी आक्रमण के कारण पंजाब की मालव सीवी अर्जुन आयन आदि जातियां जो अपने साहस और शौर्य के लिए प्रसिद्ध थी राजस्थान के प्रमुख जनपद निम्न है।
जांगल:- वर्तमान बीकानेर और जोधपुर के जिले महाभारत काल में जंगल प्रदेश के लाते थे कहीं कहीं इसका नाम कुरु जागल और मानदेय जांगल भी मिलता है। इस जनपद की राजस्थानी अहीछत्रपुर थी जिसे नागौर कहते हैं।
मत्स्य जनपद:- वर्तमान जयपुर के आसपास का क्षेत्र मत्स्य महाजनपद कहलाता है इसका विस्तार चंबल के पास की पहाड़ियों से लेकर सरस्वती नदी के जंगल क्षेत्र तक था। मध्यप्रदेश की राजस्थानी विराटनगर थी जिसे वर्तमान में विराट के नाम से जाना जाता है।
शूरसेन जनपद:- आधुनिक ब्रज क्षेत्र में यह महाजनपद स्थित था। महाभारत के अनुसार यहां पर यादव वंश का शासन था भरतपुर धौलपुर करौली जिला के अधिकांश भाग शूरसेन जनपद के अंतर्गत आते थे।
सम्पूर्ण नोट्स
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